शनिवार, 28 जनवरी 2012

आदमी के हक में..संकलन से

बस्ती के लोग

अलग-अलग धड़ों में बंट गए है
मेरी बस्ती के लोग
बैठ बारूद पर तिलियाँ जला रहे हैं
मेरी बस्ती के लोग ।
भाई-चारा भूल बैठे है
नफरत की गांठ ऐंठ बैठे हैं
अपने मुख में कड़वी ज़बान
बरसों से लुकाए बैठे हैं
अड़ौसी-पड़ौसी दुआ-सलाम
भूल बैठे है मेरी बस्ती के लोग
अलग-अलग धड़ों में बंट गए है
मेरी बस्ती के लोग ।
रिश्ते-नाते कड़वे हो गए
अपने ही वाले भड़वे हो गए
घर अपनों का जलते देख-देख
बगले झांपते तड़वे हो गए
अब तो मान मार्यादा भूल बैठे है
मेरी बस्ती के लोग ।
अलग-अलग धड़ों में बंट गए है
मेरी बस्ती के लोग ।
कौन किसी पर करें भरोसा
पे्रम-प्याली में ज़हर परोसा
आनन-फानन मेल मिलाप है
फैला रखा है औपचारिकता का भूसा
जिस माला में फूल गूँथे हो
गोले-बारूद पिरो रहे है
मेरी बस्ती के लोग ।
अलग-अलग धड़ों में बंट गए है
मेरी बस्ती के लोग ।
( दिः 01.03.2011)

59-नास्टेल्जिया

तुलसी,जायसी और मीरा ने नहीं कहा,और
न ही कबीर या मुक्तिबोध ने कहा
बल्कि आप,हम सभी देख रहे हैं
गाँधी के तीनों बन्दर भी अंजान नहीं है
लेकिन फिर भी
अन्यमनस्क होकर निरपेक्ष भाव से
टकटकी लगाए हुए है
जो हो रहा है उसे
महज़ साक्षी होकर देख रहे है ।
परिवर्तन चाहे हो या न हो
लेकिन जो रोग घुन् बनकर लग चुका है
वह भीतर तक खोखला कर रहा है
विवश है गाँधी और विवेकानन्द
चाहकर भी बदल नहीं पा रहे है मानसिकता
कर्णधारों और ऊँचे पदों पर आसीन
महामहिमों की ।
भीतर तक पूर्वाग्रह से ग्रसित रोग
इतनी आसानी से पीछा नहीं छोड़ता
जब तक कि हम स्वयं अपनी इच्छाशक्ति को
दृढ़ बनाने का संकल्प नहीं लेते ।
समूची मानवता ताक रही है
उस ओर
जहाँ से उसे पूरी उम्मीद है कि
एक न एक दिन
इस महारोग से मुक्ति मिल जाएगी
और
समरता की जड़ों में कोपलें फूटेगी
वसुन्धरा हरी-भरी हो जाएगी
मुक्तिबोध एक बार फिर मुस्कराएंगे
कहेंगे
घुन् लगे इस रोग को सींचों मत
इसे समूल नष्ट कर दो
कि लहलहाऐ मानवता
चाहे कितनी भी संकटापन्न स्थिति हो
कोइै तो इलाज होगा
इस बीमारी का ।
( 03.03.2011) गुरूवार 6.00प्रातः
रिश्ते

दोस्त तो मिलते नहीं
दुश्मन मिल जाय बहुत बड़ी बात है
अपने तो गले लगते नहीं
गले,पराए लग जाए
सबसे बड़ी बात है
तुम तो खालिस लेन देन की बातें करते हो
कुछ दिया तो कहते हो
मेरे अजीज है आप
कुछ लिया तो कहते हो
दुश्मन मेरे लगते हो ।
दोस्त तो तुम लगते नहीं
ना ही तुम अपने लगते हो
दुश्मन बन जाओ तो बहुत अच्छी बात है
कम अज कम दुश्मनी का रिश्त तो कायम रहेगा ।
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