शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

भ्रष्टाचार मिटाया नहीं जा सकता

जनलोकपाल बिल लाने के लिए 72 वर्षीय गांधीवादी अन्ना हजारे आमरण अनशन कर रहे हैं । उन्हें कोटी कोटी साधुवाद..इसलिए भी कि इतना साहस अन्ना ने किया है। हम भी अन्ना के साथ है,यदि भ्रष्टाचार वास्तव में मिटाना है,लेकिन मेरे चार दशक के अनुभव ने यह बताया है कि गांधीवादी अन्ना हजारे जैसे दस बीस अन्ना हजारे भी अनशन करके अपना बलिदान दे दें तो भी भारत जैसे देश के जनमानस के व्यवहार से भ्रष्टाचार मिटाया नहीं जा सकता । चाहे कितने भी जनलोकपाल बिल पास हो जाए । हमारे देश का एक अदने से व्यक्ति से लेकर उच्चस्तर पर विराजमान व्यक्ति पर आकंठ भ्रष्टाचार में लिप्त है । शासकीय अथवा अशासकीय संस्थानों में अन्तिम पंक्ति का कर्मचारी हो या प्रथम पंक्ति का अधिकारी हो,सीधे मुंह बात नहीं करता । किसी व्यक्ति का महत्वपूर्ण कार्य नहीं हो पाता,जब तक कि उन्हें उनकी मांग पूरी नहीं की जाती । यह कहना विश्वसनीय नहीं है कि जनलोकपाल बिल पास होने के बाद ऐसा नहीं होगा,क्योंकि हमारे देश के लोगों में भ्रष्ट आचरण उनकी रग रग में उनके रक्त में उनके विचारों में उनके व्यवहार में...यहां तक कि उनके आचार विचार में बसा हुआ है। मैं अन्ना जी ने करबद्ध अनुरोध करना चाहूंगा कि पहले जनमानस में नैतिक आचार विचार का बिजारोपण करे तत्पश्चात जनलोकपाल बिल पास करने के लिए कदम उठाए । मैं अपने ही देश के लोगों के भ्रष्ट आचार विचार और व्यवहार से त्रस्त हूं । किसी भी कार्यालय में जाता हूं तो कोई भी सीधे मुंह बात नहीं करता,कार्य भले ही न हो । मेरा हृदय दुखित है । लोक निर्माण विभाग का कर्मचारी बिना पैस लिए सरकार मकान का कार्य नहीं करता । ऐसे अनेकों उदाहरण पेश किए जा सकते है। मेरा संदेश यह है कि अन्नाजी,आप यह कदम न उठाएं क्योंकि हमारे देश की भ्रष्ट जनता का आचरण कभी गांधीवादी नहीं हो सकता । गांधीबाबा के आचरण पर चलना अब टेडी खीर है। ...कृष्णशंकर