शनिवार, 28 जनवरी 2012
कृष्ण जन्म
थी मध्य निशा की पुनित बेला,औ’आच्छादित मेघ श्रृंखला व्यापाररजनिकर मुख छिपा क्षितिज मेंघुप् तम पथ था पारावार ।-1तिमिर में भी ज्योति पूँज आलोडि़त होताघनन् घनन् घन घनन् घनन् घन मेखलापार व्योम से झांकता वह चितवन चकोराजाने किसका होगा वह चंचल चपल छोरा ।-2मलयानिल बयार मधुर घ्राँण रंध सुवासितकौन है वह जो करता हृदय को विस्मितकौन है वह जो होता पुलकित बार बार कौन है वह जो प्रमुदित होना है चाहताकौन है वह जो होना चाहता सृजनहार ।-3ऐसे में निपट कौन मौन अस्तित्व लिएविहंसता सह कुसुमित सा सुकुमारतड़-तड़ तोड़ लौह बन्ध मुक्त वहप्रगट हुआ एक शिशु बीच कारागार ।-4कोमल लघु पावन चरण धरा धरविभु नयन सम्मुख हो महा-मनोहरविहंस पड़ी अधराधर मधु मुस्कानयही होगा इस युग का महान गान ।-5कोई कल्पनातीत निशा मध्य कर उजियालाकर अलौकिक तन-रजनि में था उगनेवालाउस पराशक्ति का अनुभूतिजन्य था विकासकर रहा था तम का वह पल क्षण उपहास ।-6जिस काल खण्ड में लोक लीलामय जनमताभव धनु वितान उस भू पर विभु का तनताविधि विधान विविधमय वह कर जातावह धरा पर उसी क्षण अवतरित हो जाता ।-7जिस क्षण सांसारिक माया स्वपन टूटतामहाकण्ठ से बरबस युगल गान गूँज उठतादिग-दिगन्त तक प्रतिध्वनित हो उठती तानसकल जगत उल्लासित गा उठता वह गान ।-8जिस क्षितिज से वह मन्द मन्द मुसकायाविधि ने रच दी अपनी अद्भूत मायासाधुजनों का करने को वह परित्राणसंकल्परत धर्मध्वजा का होगा अभ्युथान ।-9अवतरण तब उसका जब नाद ब्रह्म गुँजायाहो गई विमोहित वीणा-वादिनी की मायाझंकार उठी दिशा-दसों औ’अखिल ब्रह्माण्डविविध कण्ठ ने आवाहन उसका गाया ।-10अखिल विश्व प्रमुदित उल्लासित हो झूमाकिंकर-गन्धर्व-अप्सराएं मृदंग झाँझ नृत्य होमासमूह गान स्तुति लय ताल छन्द युगल हो गाएव्योम अवनि अम्बर तल अनन्त धरा भी घुमा ।-11खग-मृग-व्याघ्र जीव-जन्तु मानव हृदय हर्षायेलता कुँज वन नद नाल सरोवर अलसायेनहीं रूकता निरन्तर अल्हादित होता उल्लासउसके अधरों पर जगमग जगमग होता उजास ।-12पराजित होना उसने कभी सीखा नहींहारने पर भी सदा गुदगुदाता था रहताकभी चरण रज प्रक्षालन में पीछे हटा नहींहोकर अपमानित फिर भी वह था मुस्काता ।-13निकुँज कुँजवन में लुकता छुपता उसका छलवानाचपल चंचल चतुर चितचोर का चितरानाभला कौन नहीं चाहेगा ऐसे में भुजबन्ध मिलानावृषभानुसुता को मधुर मुरली का सुनाना ।-14मानवता की खारित उसने गान गीता का गायाजीवन सारा कर उत्सर्जित फिर भी वह मुस्कायामेरे कृष्ण तुम तो मेरे प्राणों के हो आधारआओ तो कर लूँ मैं तुमको जी भर के प्यार ।-15000
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें